Preface
नशेबाजी की बुरी आदतों से तंबाकू का व्यसन बहुत बुरी तरह फैल गया है । यह दुर्व्यसन इतना सामान्य तथा व्यापक हो गया है कि लोगों के दैनिक जीवन का एक अंग बन बैठा है और इसे मित्रों, मेहमानों तथा अन्य समागतों के प्रति सिगरेट, बीड़ी आदि के रूप में आदर अभिव्यक्ति का एक अंग मान लिया गया है । इसे समाज के दुर्भाग्य के सिवाय और कुछ नहीं कहा जा सकता ।
एक दिन था जब लोग अभ्यागतों का स्वागत दूध, दही, शरबत, मक्खन, मलाई, शहद और इसी प्रकार के स्वादिष्ट तथा जीवन पूर्ण पदार्थों से किया करते थे । किंतु आज आते ही उनके सामने बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, चिलम, तंबाकू आदि बढ़ा देते हैं । यह अपने घर आए अभ्यागतों तथा मिलने वाले मित्रों के साथ यह कितना विपर्यय है, कितना अन्याय है ? घर आए समागतों के सामने तंबाकू अथवा उसके किसी स्वरूप को स्वागतार्थ रखना उन्हें विष देने का एक प्रकार है, उसके स्वास्थ्य में आग लगाने की एक विधि है ।
धूम्रपान को आजकल सभ्यता का एक अनिवार्य विषय स्वीकार किया जाने लगा और इससे भी दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि किसी के घर पहुँचने अथवा मिलने पर यदि आतिथेय मिलते ही बीड़ी, सिगरेट से स्वागत नहीं करते तो अतिथि बुरा मानते हैं और मन ही मन सोचते हैं कि न जाने यह कैसा आदमी है, जो एक बीड़ी के लिए भी नहीं पूछता । जबकि बुरा तब मानना चाहिए जब वह मिलन होते ही तबाकू रूपी विष उनकी ओर बढाता है ।
Table of content
1. दुर्व्यसन की व्यापकता
2. धर्म शास्त्रों में निषेध
3. मंथर किन्तु घातक विष
4. तम्बाकू का वैज्ञानिक विश्लेषण
5. मानसिक हानियाँ
6. अपराधी प्रवृत्ति को प्रोत्साहन
7. आर्थिक कुप्रभाव
8. अन्न उत्पादन घटना
9. मानसिक गुलामी से छूट
10. तम्बाकू से कैंसर रोग की वृद्धि
11. इंग्लैंड में तम्बाकू विरोधी अभियान
12. तम्बाकू से उत्पन्न होने वाले पच्चीस रोग
13. तम्बाकू की मानव अंगों पर प्रतिक्रिया
14. रूस में धूम्रपान के विरुद्ध आन्दोलन
15. खतरे की चेतावनी
16. विवेक बुद्धि का भ्रष्ट होना
17. धूम्रपान कैसे त्यागा जाय
Author |
Pt. Shriram sharma acharya |
Edition |
2015 |
Publication |
Yug Nirman Yojana Press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistar Trust |
Page Length |
32 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |