Preface
परम पूज्य गुरुदेव एवं परम वंदनीया माताजी की सुपुत्री सबके लिए श्रद्धा की प्रतिमूर्ति श्रद्धेया शैल जीजी के अश्वमेधों में दिए गये उद्बोधन की संकलित पुस्तिका "अमृतकण" को पाकर मन प्रसन्न है । नब्बे के दशक में आयोजित अश्वमेध यज्ञों के क्रम में दिये गये इन प्रवचनों में परम वंदनीया माताजी के साथ बिताये पल याद आ जाते हैं । नवयुग का दशमावतार-प्रज्ञावतार (भिलाई-छत्तीसगढ़ अश्वमेध महायज्ञ में दिया उद्बोधन), भाव सम्वेदना जगाएँ (जबलपुर म०प्र० अश्वमेध), समय की चुनौती स्वीकार करें (इन्दौर म०प्र०अश्वमेध), नारी की महत्ता (बुलन्दशहर उ०प्र०), मन्यु जगाएँ अनीति भगाएँ (भोपाल म०प्र०), आसुरी शक्तियों से लड़ने की सामर्थ्य जगायें (आँवलखेड़ा प्रथम महापूर्णाहुति), नारी का गौरव बनाएँ रखें (राजकोट-गुजरात), सहेजेंगे आपका प्यार (विदाई प्रवचन बुलन्दशहर) जैसे शीर्षकों द्वारा इसका प्रतिपादन किया गया है ।
श्रद्धेया शैल जीजी के मुखारविन्द से निकली ये पंक्तियों मानों परम पूज्य गुरुदेव एवं परम वंदनीया माताजी की ओर से बरसाये जाने वाले आशीर्वाद के शब्द का मूर्त रूप है-इसे उपस्थित हर परिजन ने न केवल अनुभव किया अपितु इन पंक्तियों के पाठक उसे अभी भी उसी रूप में अनुभव करेंगे ।
Table of content
1. नवयुग के दशमावतार-प्रज्ञावतार- ( भिलाई, 1993)
2. भाव सम्वेदना जगाएँ- ( जबलपुर, 1995)
3. समय की चुनौती स्वीकार करें- ( इंदौर, 1995)
4. नारी की महत्ता- ( बुलंदशहर, 1994)
5. मन्यु जगाएँ अनीति को भगाएँ- ( भोपाल, 1993)
6. आसुरी शक्तियों से लड़ने की सामर्थ्य जगाएँ- ( आँवलखेड़ा, 1995)
7. नारी का गौरव बनाए रखें- ( राजकोट, 1994)
8. सहेजे रखेंगे आपका प्यार - ( बुलंदशहर, 1994)
Publication |
Yug Nirman Yojana Vistar trust, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Press, Mathura |
Page Length |
48 |
Dimensions |
14X22 cm |