Preface
विचात्तंत्र समस्त विश्व में शरीर की नाड़ियों की तरह फैला हुआ है । सर्वव्यापी मूल सत्ता के आदेश हमारी भावनाओं में, विचारों में आते अवश्य हैं। यदि हम उनकी उपेक्षा करते रहे और अपनी जीवन-शक्ति निरर्थक नष्ट करते रहें तो यही व्यवस्थाएँ हमारे लिए घातक हो जाती हैं । ऐसे व्यक्ति देर- सबेर आपत्ति, असफलता, मानसिक उद्वेग में फँसकर अपनी शांति व प्रसन्नता ही गँवाते हैं ।
Table of content
1. नियामक सत्ता का स्वरुप जानें समझें
2. इस संसार की मर्यादा समझें और तत्वदृष्टि प्राप्त करें
3. स्वयं को जानें आत्मशक्ति पहचानें
4. जीवन को भव्य बनाने वाली ब्रह्मविद्या
Author |
Pt shriram sharma acharya |
Edition |
2010 |
Publication |
Yug Nirman Yojana Press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
64 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |