Preface
जो कुछ किया जाता है, वह सारे का सारा मात्र आज की आवश्यकताएँ पूरी करने के लिए ही नहीं होता । उसे भविष्य को ध्यान में रखते हुए भी किया जाता है । भोजन आज का बनाया आज खाया जाता है, पर अन्य भंडार इसलिए भरा जाता है कि अगले दिनों भी उसका उपयोग हो सके । महत्त्वपूर्ण योजनाएँ इसी दृष्टि से बनती हैं । रहने के मकान इसी दृष्टि से बनते हैं कि उनमें बुढ़ापा कट सके और संतान को भी उनमें रहने का अवसर मिल सके । राष्ट्रीय प्रगति की विविध योजनाएँ न केवल आज का समाधान रखते हुए बनती हैं, वरन उनके पीछे उज्ज्वल भविष्य की संरचना को भी ध्यान में रखा जाता है । युगांतरीय चेतना का प्रेरणा-प्रवाह भी इसी प्रयोजन के लिए है कि अगले दिनों की व्यवस्था प्रगति-समृद्धि का क्रमिक विकास चल पड़े ।
भविष्य निर्माण की समस्त योजनाओं में मूर्द्धन्य यह है कि भावी पीढ़ियों का स्तर कैसा हो ? उसी के ऊपर समस्त संभावनाएँ निर्भर हैं । मात्र संपत्ति भर की बात सोचने से काम नहीं चलेगा । साधन जुटा देना पर्याप्त नहीं । महत्त्वपूर्ण बात स्तर की है । किसी देश का क्षेत्रफल, जनसंख्या, प्रकृति-संपदा, उद्योग, साज-सज्जा आदि के आधार पर उसकी सही गरिमा का मूल्यांकन नहीं हो सकता । ये सभी साधन ऐसे हैं जो तनिक सी प्रतिकूलता उत्पन्न होने पर देखते-देखते धराशाई हो सकते हैं । स्थायी और सच्चा बल-वैभव सुदृढ़ व्यक्तित्व पर निर्भर है । वे जहाँ ? जितनी संख्या में जिस स्तर के होंगे, वहाँ समर्थता और संपदा उसी अनुपात से विकसित होती चलेगी ।
Table of content
1. उज्ज्वल भविष्य सुसंततियों पर निर्भर
2. सुप्रजनन हेतु इंद्रियसंयम की अनिवार्यता
3. देवमानवों के सृजन हेतु प्रस्तावित कुछ महत्त्वपूर्ण सुझाव
4. मानवीय नस्ल सुधारने में आनुवंशिकी के प्रयोग
5. वंशानुक्रम को प्रभावित करने वाली वातावरण की सूक्ष्म शक्ति
Author |
Pt. Shriram Sharma Aacharya |
Edition |
2014 |
Publication |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
104 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |