Preface
विश्व का कण-कण शक्ति से भरा पड़ा है । पर दुर्भाग्यवश हम उसके अभाव में पग-पग पर अभाव और कष्ट अनुभव कर रहे हैं । अणु की शक्ति का क्या ठिकाना, सूर्य तो शक्ति का स्रोत ही है । गामा किरणें, कास्मिक किरणें, रेडियो किरणें, एक्स किरणें प्रमृति कितनी ही शक्तिधाराएँ लोक-लोकांतरों से इस पृथ्वी पर आती रहती हैं, उनका एक बहुत छोटा अंश प्रयुक्त होता है, शेष ऐसे ही अस्त-व्यस्त होकर विनष्ट हो जाता है ।
शक्तिशाली बनने के लिए हमें दो कदम उठाने पड़ेंगे-एक आस-पास बिखरी हुई शक्ति का संचय; दूसरे उसका सदुपयोग । संचय कर सकने की क्षमता न होने से घोर जल वर्षा होते रहने पर भी एक बूँद पानी नहीं मिलता और हाथ मलते रह जाते हैं । इस प्रकार प्रस्तुत वस्तुओं का यदि सुदपयोग न हो सके तो भी लाभदायक स्थिति प्राप्त करने से वंचित ही रहना पड़ता है । यदि शक्ति की व्यापकता और प्रचुर मात्रा में उपस्थिति से परिचित होने के साथ-साथ उसका संग्रह और सदुपयोग विधान भी समझ में आ जाए तो समझना चाहिए कि हम सर्वशक्तिमान न सही अतीव शक्तिशाली अवश्य ही बन सकते हैं और आज की दयनीय स्थिति से कहीं आगे बढ़ सकते हैं ।
अणु के स्वरूप, बल तथा बाहुल्य पर दृष्टिपात करें तो आश्चर्य होता है कि अपने अति समीप अतिशय शक्ति भंडार प्रस्तुत है, किंतु उससे लाभ उठाते नहीं बन पड़ रहा है । अणुशक्ति की संक्षिप्त जानकारी भी हमें आश्चर्य में डाल देती है ।
Table of content
1. अणुशक्ति से भी अधिक सामर्थ्यवान- आत्मशक्ति
2. ब्राह्मी चेतना का विराट महासागर और हम उसके एक घटक
3. मानवीय तेजोवलय एवं छायापुरुष
4. मानवीय काया में समाया वैभव साम्राज्य
5. रहस्यमय, अद्भुत हैं-सूक्ष्म के क्रिया-कलाप
Author |
Pt. Shriram Sharma Aacharya |
Edition |
2015 |
Publication |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
104 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |