Preface
गायत्री वह दैवी शक्ति है जिससे सम्बन्ध स्थापित करके मनुष्य अपने जीवन विकास के मार्ग में बड़ी सहायता प्राप्त कर सकता है। परमात्मा की अनेक शक्तियाँ हैं, जिनके कार्य और गुण पृथक् पृथक् हैं। उन शक्तियों में गायत्री का स्थान बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। यह मनुष्य को सद्बुद्धि की प्रेरणा देती है। गायत्री से आत्मसम्बन्ध स्थापित करने वाले मनुष्य में निरन्तर एक ऐसी सूक्ष्म एवं चैतन्य विद्युत् धारा संचरण करने लगती है, जो प्रधानतः मन, बुद्धि, चित्त और अन्तःकरण पर अपना प्रभाव डालती है। बौद्धिक क्षेत्र के अनेकों कुविचारों, असत् संकल्पों, पतनोन्मुख दुर्गुणों का अन्धकार गायत्री रूपी दिव्य प्रकाश के उदय होने से हटने लगता है। यह प्रकाश जैसे- जैसे तीव्र होने लगता है, वैसे- वैसे अन्धकार का अन्त भी उसी क्रम से होता जाता है। मनोभूमि को सुव्यवस्थित, स्वस्थ, सतोगुणी एवं सन्तुलित बनाने में गायत्री का चमत्कारी लाभ असंदिग्ध है और यह भी स्पष्ट है कि जिसकी मनोभूमि जितने अंशों में सुविकसित है, वह उसी अनुपात में सुखी रहेगा, क्योंकि विचारों से कार्य होते हैं और कार्यों के परिणाम सुख- दुःख के रूप में सामने आते हैं। जिसके विचार उत्तम हैं, वह उत्तम कार्य करेगा, जिसके कार्य उत्तम होंगे, उसके चरणों तले सुख- शान्ति लोटती रहेगी। गायत्री उपासना द्वारा साधकों को बड़े- बड़े लाभ प्राप्त होते हैं। हमारे परामर्श एवं पथ- प्रदर्शन में अब तक अनेकों व्यक्तियों ने गायत्री उपासना की है। उन्हें सांसारिक और आत्मिक जो आश्चर्यजनक लाभ हुए हैं, हमने अपनी आँखों देखे हैं।
Table of content
• संकेत- विवरण
• वेदमाता गायत्री की उत्पत्ति
• ब्रह्म की स्फुरणा से गायत्री का प्रादुर्भाव
• गायत्री सूक्ष्म शक्तियों का स्रोत है
• गायत्री साधना से शक्तिकोशों का उद्भव
• शरीर में गायत्री मंत्र के अक्षर वाला चित्र यहाँ लगना है !
• गायत्री और ब्रह्म की एकता
• महापुरुषों द्वारा गायत्री महिमा का गान
• त्रिविध दु:खों का निवारण
• गायत्री उपेक्षा की भर्त्सना
• गायत्री साधना से श्री समृद्धि और सफलता
• गायत्री साधना से आपत्तियों का निवारण
• जीवन का कायाकल्प
• नारियों को वेद एवं गायत्री का अधिकार
• देवियों की गायत्री साधना
• गायत्री का शाप विमोचन और उत्कीलन का रहस्य
• गायत्री की मूर्तिमान प्रतिमा यज्ञोपवीत (जनेऊ)
• साधकों के लिये उपवीत आवश्यक है
• गायत्री साधना का उद्देश्य
• निष्काम साधना का तत्त्व ज्ञान
• गायत्री से यज्ञ का सम्बन्ध
• साधना- एकाग्रता और स्थिर चित्त से होनी चाहिए
• पापनाशक और शक्तिवर्धक तपश्चर्याएँ
• आत्मशक्ति का अकूत भण्डार :: अनुष्ठान
• सदैव शुभ गायत्री यज्ञ
• महिलाओं के लिये विशेष साधनाएँ
• एक वर्ष की उद्यापन साधना
• गायत्री साधना से अनेकों प्रयोजनों की सिद्धि
• गायत्री का अर्थ चिन्तन
• साधकों के स्वप्न निरर्थक नहीं होते
• साधना की सफलता के लक्षण
• सिद्धियों का दुरुपयोग न होना चाहिये
• गायत्री द्वारा कुण्डलिनी जागरण
• यह दिव्य प्रसाद औरों को भी बाँटिये
Author |
Pt. Shriram Sharma Acharya |
Edition |
2013 |
Publication |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Page Length |
406 |
Dimensions |
255mmX191mmX25mm |