Preface
परम पूज्य गुरुदेव की घोषणानुसार युग परिवर्तन एक सुनिश्चित संभावना है । युग निर्माण योजना इसी संभावना को साकार करने के लिए बनाई गयी है । युग निर्माण कैसे होगा ? इसके सरंजाम कैसे जुटेंगे ? तथा इसके भागीदारों का चरित्र-चिंतन कैसा होना चाहिए ? इसका विस्तार पूर्वक वर्णन वाड्मय के खण्ड ६६ में किया गया है ।
प्रस्तुत पुस्तिका में युग निर्माण योजना-दर्शन स्वरूप व कार्यक्रम वाड्मय क्र. ६६ के चुने हुए अंशों को संकलित किया गया है । उसमें नैष्ठिक परिजनों को झकझोर देने वाली पूज्यवर की अमर-वाणी है । इसे प्रत्येक परिजन को ध्यान पूर्वक पढ़ना चाहिए तथा पढ़कर चिंतन-मनन करते हुए आचरण में उतारने का प्रयास करना चाहिए ।
आशा है यह पुस्तक हम सबके भीतर प्रकाश की एक नई किरण बनाकर हमारा पथ प्रदर्शन करेगी ।
Table of content
1. हमारा अध्यात्मवादी जीवन दर्शन
2. अनैतिक कार्यों में ज्ञान का उपयोग ब्रह्मराक्षस की घृणित भूमिका है
3. युग निर्माण का आधार व्यक्ति निर्माण
4. मानसिक स्वच्छता का महत्व
5. हमारा आतंरिक महाभारत
6. बुराईयों के विरुद्ध संघर्ष
7. हमारे दो कार्यक्रम
8. जीवन के तीन आधार
9. एक समस्या के दो पहलू
10. आस्तिकता अर्थात चरित्रनिष्ठा
11. महान अतीत को वापस लाने का पुण्य-प्रयत्न
12. इस अग्निपरीक्षा को स्वीकार करें
13. स्वार्थ नहीं परमार्थ को साधा जाय
Author |
Pt. Shriram Sharma Aachrya |
Edition |
2014 |
Publication |
Shree vedmata Gayatri Trust (TMD) |
Publisher |
Vedmata Gayatri Trust (TMD) |
Page Length |
48 |
Dimensions |
12 X18 cm |