Preface
जो सशक्त है-वह सूक्ष्म है, स्थूल तो उसका आवरण मात्र है। काया को हम देख पाते हैं और मनुष्य को उसके कलेवर के रूप में ही पहिचानते हैं, पर असली चेतना तो प्राण हैं, जो न तो दिखाई पड़ता है और न उसका स्तर सहज ही समझ में आता है। जो सूक्ष्म है-वही शक्ति का स्रोत है, उसे समझने और उपभोग करने के लिए गंभीर लक्ष्य वेधक दृष्टि चाहिए।
Table of content
1. नदी-नद, सागर-तालाब सब कुछ इस शरीर में
2. प्रत्यक्ष से भी अति समर्थ अप्रत्यक्ष
3. स्वरूप जितना महान् आधार उतना ही सूक्ष्म
4. अति विलक्षण चेतना अर्थात् सूक्ष्म की सत्ता
5. शक्ति अर्थात् आत्म चेतना का विज्ञान
6. असीम-अतुल शक्ति सागर की एक बूँद
7. शरीर संस्थान में भी सूक्ष्म ही प्रखर
Author |
Pt. Shriram Sharma Aacharya |
Publication |
yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
112 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |