Preface
मित्रो! जितने भी आदमी भगवान के भक्त हुए हैं, योगी हुए हैं, उनकी भक्ति और योग क्या योगाभ्यास तक प्राणायाम तक या उपासना तक ही सीमित रहे? नहीं, मैं आपको बताना चाहूँगा कि विवेकानंद आधा घंटा उपासना करते थे, डेढ़ घंटा ध्यान करते थे और गांधी जी आधा घंटा सामूहिक प्रार्थना करते थे, लेकिन विवेकानंद से लेकर गांधी जी तक का, सभी का सारा का सारा जीवन भगवान के क्रिया- कलापों को पूरा करने के लिए समर्पित हो गया ।। बाकी भी जो महामानव हुए हैं, उनके जीवन की ओर जब हम देखते हैं तो भगवान बुद्ध ने क्या उपासना की, क्या पूजा की, हमें नहीं मालूम। नहीं साहब ! आप बताइए कि भगवान ने क्या पूजा की और कौन सा मंत्र जपा? बेटे ! हमें नहीं मालूम, लेकिन हाँ उन्होंने अपनी जिंदगी के सारे सुखों को, संसार को, जो उनके जीवन में शामिल थे, हर सुख को अलग फेंक दिया ।। बच्चे को अलग फेंक दिया, बीबी को अलग फेंक दिया, राज- पाट को अलग फेंक दिया ।। भगवान की इच्छा पूरी करने के लिए और भगवान की दुनिया को सुंदर बनाने के लिए अपनी सारी जिंदगी खतम कर दी ।। यही उनका असली मंत्र था ।।
Author |
Pt. Shriram Sharma Acharya |
Publication |
Yug Nirman Trust, Mathura |
Page Length |
32 |
Dimensions |
9 X 12 cm |