Preface
देवियो, भाइयों! खासतौर से परमार्थ या लोकमंगल क्या हो सकता है? सबसे बेहतरीन तो यही है कि अब भगवान ने आपको अपने व्यक्तिगत कामों में शरीक होने के लिए दावत दी है और कभी मिलेगा ऐसा अवसर? कभी नहीं मिल सकेगा ।। एक समय था, जब भगवान ने ग्वाल- बालों को दावत दी थी। क्या कहा था ? आप हमारे निजी कामों में शरीक हो सकते हैं और जो काम हम कर सकते हैं, उसमें भी आप सहायक बन करके अपना दरजा हमारे बराबर बना सकते हैं ।। ग्वाल- बालों ने गोवर्धन उठाने में अपनी लाठी लगा दी और अपना दरजा भगवान कृष्ण के बराबर बना लिया ।। इसी तरह जब भगवान राम थे, तब उनने अपने व्यक्तिगत कामों में दखल देने के लिए रीछ- वानरों से कहा था कि आप हमारी मदद कीजिए ।। रीछ- वानरों, नल- नील ने पुल बनाया ।। हनुमान जी ने बहुत से काम किए ।। गिलहरी ने एक काम किया, गिद्ध ने दूसरा काम किया और उनके व्यक्तिगत कामों में सहायता देने वाले धन्य हो गए निहाल हो गए ।। गांधी जी के काम में सहायता देने वाले धन्य हो गए ।।
Author |
Pt. Shriram Sharma Acharya |
Publication |
Yug Nirman Trust, Mathura |
Page Length |
32 |
Dimensions |
9 X 12 cm |