Preface
स्वर्ग एक उपलब्धि मानी गई है, जिसे प्राप्त करने की इच्छा प्राय: हर मनुष्य को रहती है ।। कई लोग उसे संसार से अलग भी मानते हैं और विश्वास करते हैं कि मरने के बाद वहाँ पहुँचा जाता है या पहुँचा जा सकता है ।। इस मान्यता के अनुसार लोक स्वर्ग प्राप्त करने के लिए जप, तप, पूजा, पाठ, पुण्य, परमार्थ और साधना उपासना भी करते हैं ।। इस पृथ्वी से अलग लोक- विशेष में स्वर्ग जैसे किसी स्थान का अस्तित्व है, अथवा नहीं, यह विवाद का विषय है ।। पर उसे प्राप्त करने की इच्छा मनुष्य के आगे बढ़ने की आकांक्षा का द्योतक है, जिसे अनुचित नहीं कहा जा सकता ।।
मनुष्य की यह इच्छा स्वाभाविक ही है कि जिस स्थान पर वह है, उससे आगे बढे़ ।। वह उन वस्तुओं को प्राप्त करे, जो उसके पास नहीं हैं ।। मनुष्य जन्म के रूप में उसे संसार तो मिल चुका, जहाँ सुख भी है और दुःख भी, अनुकूलताएँ भी हैं तथा प्रतिकूलताएँ भी ।। लेकिन मनुष्य की इच्छा रहती है कि दुःख- कष्टों और प्रतिकूलताओं से उसका कोई संबंध नहीं रहे ।। वह अधिकाधिक सुखी, संतुष्ट और सुविधा- संपन्न स्थिति को प्राप्त करे ।। यह स्थिति जीते- जी प्राप्त की जाए अथवा मरने के बाद, यह अलग विषय है ।।
Table of content
1. अपना स्वर्ग स्वयं बनाए
2. मानव जीवन एक कल्प वृक्ष के समान
3. जीवन देवता की आराधना कभी व्यर्थ नहीं जाती
4. छोटी-छोटी बातें अत्यंत महत्वपूर्ण
5. ध्येय के प्रति अटूट निष्ठा सफलता की एक अनिवार्य शर्त
6. सफल और संतोषी जीवन की रीति-नीति
7. वाकशक्ति एक दिव्य विभूति
8. आप हँसिये तो दुनिया आपके साथ चलेगी
Author |
Pt Shriram Sharma Acharya |
Edition |
2014 |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistar Trust |
Page Length |
64 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |