Preface
किसी गाँव में एक बालक रहता था ।। उसने हाथी, बैलगाड़ी, रेल, मोटर आदि सभी सवारियों चढ़ी थीं ।। ऊँट के विषय में उसने सुना था, चढ़ा नहीं था ।। उसकी इच्छा सदैव ऊँट की सवारी करने को हुआ करती थी ।।
एक बार वह घर को लौट रहा था ।। रास्ते में एक व्यापारी अपने ऊँट को बिठाकर नदी में स्नान करने चला गया था ।। ऊँट को विश्राम देने के लिए उसने काँठी और नकेल दोनों खोल दी थीं ।। ऊँट देखते ही बालक प्रसन्नता से नाचने लगा ।। वर्षों की अधूरी साध पूरी करने का इससे सुंदर अवसर कहाँ मिलता? छलाँग लगाई और ऊँट की पीठ पर जा बैठा ।। अपने स्वभाव के अनुसार ऊँट एकाएक उठा और रास्ते- कुरास्ते भाग चला ।। लड़का घबराया, पर अब क्या हो सकता था ? नकेल थी नहीं, ऊँट को काबू कैसे करता ? जिधर जी आया, ऊँट उधर ही भागता रहा ।। बालक की घबराहट भी उतनी बढ़ती गई ।। मार्ग में दो पथिक जा रहे थे, बालक की घबराहट देखकर उनने पूछा- बालक कहाँ जाओगे ? लड़के ने सिसकते हुए जवाब दिया- भाई जाना तो घर था किंतु अब तो जहाँ ऊँट ले जाए वहीं जाना है ।। इसी बीच वह एक पेड़ की डाली से टकराया और लहूलुहान होकर भूमि पर जा गिरा ।।
बालक की कहानी पढ़कर लोग मन ही मन उसकी मूर्खता पर हँसेंगे, पर आज संसार की स्थिति भी ठीक इस -बालक जैसी ही है
Table of content
1. जितं जगत् केन ? मनो हि येन
2. समस्त शक्तियों का भंडार-"मन"
3. मन का जीतना-सबसे बड़ी विजय
4. मन के हारे-हार है, मन के जीते-जीत
5. मनोबल गिराइए नहीं, बढ़ाइए ?
6. मन को अस्वस्थ न रहने दें
7. मानसिक शक्ति नष्ट न होने दें
8. इच्छाशक्ति की प्रचंड क्षमता
9. कामनाओं-वासनाओं का सदुपयोग
10. मनोविकार हमारे सबसे बड़े शत्रु
11. हमें मानसिक चिंताएँ क्यों घेरती हैं
12. अपनी मानसिक शांति इस तरह बरबाद न करें
13. न निराश हों, न चिंता करें
14. भाग्यवादी नहीं, पुरुषार्थवादी बनिए
15. मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता आप है
Author |
Pt Shriram Sharma Acharya |
Edition |
2011 |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistar Trust |
Page Length |
168 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |