Preface
मनुष्य शरीर में सबसे अधिक संवेदनशील अवयव मस्तिष्क है ।। वह मात्र सोचने- विचारने के ही काम नहीं आता वरन् उसमें उत्पन्न होने वाली विद्युत संपूर्ण शरीर का क्रिया संचालन करती है ।। अचेतन मस्तिष्क से संबंधित असंख्यों तार शरीर के प्रत्येक घटक तक पहुँचते हैं, उसकी सुव्यवस्था रखते हैं, आवश्यक आदेश देते हैं तथा समस्याओं का समाधान करते हैं ।।
यह शरीर चर्चा की बात हुई, इसके अतिरिक्त सचेतन भाग द्वारा विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मन और बुद्धि द्वारा निर्णय किए जाते हैं और उनकी पूर्ति के लिए योजना बनाने और कार्यान्वित करने का उत्तरदायित्व उठाया जाता है ।। इसके प्रखर होने पर ही मनुष्य प्रतिभावान बनता है और अनेक सफलताएँ अर्जित करता है ।। बाह्य मस्तिष्क का स्तर मंद होने पर मनुष्य मूर्ख कहलाता है और उसका चिंतन अटपटा रहता है ।।
जीवन के हर क्षेत्र को मस्तिष्क प्रभावित करता है ।। उसके स्तर के अनुरूप शारीरिक स्वास्थ्य में उतार- चढ़ाव आते रहते हैं ।। मनोविकार स्वास्थ्य को गिराने और व्यक्तित्व को अटपटा बनाने के प्रधान कारण होते हैं ।। इसी प्रकार किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व की- गुण, कर्म, स्वभाव की दिशाधारा इसी आधार पर बनती है कि मस्तिष्क को किस प्रकार प्रशिक्षित एवं अभ्यस्त किया गया ।।
Table of content
1. सामान्य से असामान्य बनाने वाली शक्ति
2. मनुष्य में छिपी इच्छाशक्ति की सामर्थ्य
3. संकल्पबल-एक ईश्वरीय अनुदान
4. मन: शक्ति का ही है यह चमत्कार
5. मनोबल की शक्ति : एक दैवी अनुभूति
6. मनोबल की संजीवनी संकल्प शक्ति का कल्पवृक्ष
7. जिजीविषा की चमत्कारी शक्ति
8. साहस ही बनाता है मनुष्य को अपराजेय
9. साधन नहीं साहस प्रधान
10. प्रतिकूलताओं के रहते हुये भी प्रगति सम्भव
Author |
Pt Shriram Sharma Acharya |
Edition |
2015 |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
56 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |